कुछ रास्ता लिख देगा, कुछ में लिख दूंगा। Munawar Faruqui Shayari Bigg Boss in Hindi
तेरे बाद कुछ खोने से डर नहीं लगता।
सफर हसीन पर मुकम्मल नहीं लगता।
रहते थे महफ़ूज़ जिन दीवारों में।
अब वो घर भी हमें घर नहीं लगता।
तेरे जैसी ढूंढू में मिलती नहीं हे।
घड़ी तेरे बिना वक़्त की हिलती नहीं हे।
ये सारे लुटाते मुझपे खुदको।
बस तेरे ही आगे मेरी चलती नहीं हे।
तराजू नहीं इनके पास मेरे सच तोलने को,
उंगलियां उठाएं जो है खुद झूठे मुझे तोड़ने को।
ज़रा बताओ इन्हें किस रब का बंदा
जो एक रास्ता बंद करता हजार खोलने को।
तू चाहे मैं बनूं पहला प्यार तेरा l
मैं मैखानो का शराबी तू ना पहला जाम मेरा l
हे लूट चुका पूरा बाजार मेरा l
जो बेकरार खुद वो तुझे क्या करार देगा l
खुशबू सब में थी, मैं पहचानता नसल कैसे?
गया फूल लेने काँटें सारे तोड़ लाया।
मैं जोक लिखने वाला हूं जोकर मत समझियो l
ये क्यूट फेस धोखा हे इसे पोकर मत समझियो l
कुछ रास्ता लिख देगा, कुछ में लिख दूंगा।
तुम लिखते जाओ मुश्किल, मैं मंजिल लिख दूंगा।
आँखों में समंदर दिलों में आग लिख दूँगा,
तुम तूफ़ान लेकर आना में चिराग रख दूँगा।
मेरे पर काट कर भी तुम्हें कुछ फ़ायदा नहीं होगा,
मैं ज़मीन पर भी बैठा ना तो आसमान लिख दूंगा।
मौत मुकम्मल में डरने वाला नहीं हूं
जो जंग हक है मैं लड़ने वाला वही हूं।
तालियों से जब तक भर न दूंगा स्टेडियम।
कसम खुदा की मैं मरने वाला नही हूं।
तेरे जैसी ढूंढू में मिलती नहीं है।
घड़ी तेरे बिना वक़्त की हिलती नहीं है।
ये सारे लुटाते मुझपे खुदको,
बस तेरे ही आगे मेरी चलती नहीं ।
मैं जोक लिखने वाला हूं जोकर मत समझियो।
ये क्यूट फेस धोखा हे इसे पोकर मत समझियो।
मेरा किया मुझे कहीं भारी पड़ा।
नफ़रत मुझसे और मैं ही चाहिए साथ खड़ा।
कभी फुरसत मिले तो शुक्रिया कह देना।
आज भी तालियों के लिए आपको लिखना तो मुझपे ही पड़ा।
खोदी जन्नत मैंने अब सुकून की चाह नहीं।
ठोकर बिना मंजिल ले चले वो राह नहीं।
दगा हे सब मैं में लौट के जाऊँ कहा।
घर पर इंतज़ार करने वाली माँ नहीं।
मेरा अपना मुझे पराया कर चुका हे।
लगा के दिल दुनिया से बस ये दुखा हे।
ये दुनिया के सामने गुनाहों का ना पुछ।
तू सब जानता है तुझसे क्या ही छुपा है।
बादशाहो को सिखाया है कलंदर होना।
आप आसान समझे हो मुनव्वर होना।
वाकिफ़ सब है तो फ़साने दर्द के गाऊँ क्या?
ज़ेहन में ग़ालिब तो ख़ज़ाना कोई लाऊ क्या?
वो कहते चुभते मेरे लफ़्ज़ उन्हें बहुत।
चीर देगी मेरी खामोशी, चुप हो जाऊं क्या?
तू बेचैन नहीं, मुझे चैन नहीं।
तुझे ज़रुरत नहीं, मेरी कोई और ज़रुरत नहीं।
बड़े लम्बे अरसे के बाद किसी से दोस्ती करनी चाहिए।
तुझे कदर नहीं, मुझे सब्र नहीं।
मेरे मसले मेरी समझ से बाहर है।
मेरी ख्वाबो से दोस्ती नींदो से दुश्मनी है।
कोई ले आओ उस परिंदे को जो उसके शहर जाता हो।
युही पढा हे खत जो लिखा कई दिनों से है।
वो बहती नदी सी है रुका हुआ हूं मैं।
वो मुकम्मल सी हे और टूटा हुआ हू मैं।
उसके आगे कोई वजूद ही नहीं हे मेरा।
खज़ाने सी वह और लुटा हुआ हूं मैं।
रोशनी से तेरी वहा चाँद रूठा बेठा हे।
मैंने तुझे मांगा जब भी टूटा हुआ तारा देखा हे।
तेरी जैसी महक यहाँ किसी भी फूल में नहीं।
यकीन कर मेरा, मैंने हर बाग़ देखा हे।
तुम पूछो हाल मेरा तो मैं ख़राब लिख दूं।
मैं कहूँ हाल मेरा तो क्या कमाल लिख दूं।
अगर इम्तेहान वह ये मेरा आखिरी।
तो केहदो इस बार सारे सही में जवाब लिख दूं।
बचपन के उस गरीब बच्चे से शर्त लगायी हे।
मेने ख्वाब के खातिर अपनी नींद को आग लगायी हे।
बहुत मेहनत करी हे बहुत टूटे हे।
जब जाकर रब ने ये नियामतें सजायीं हे।
जब लड़कर गुजारी होगी जिंदगी पूरी।
वो कामियाबी का दौर दूसरा होगा।
जब अव्वल होगी दुश्मनों की खामोशी हर जगह।
नाम-ए-मुनव्वर का शौर दूसरा होगा।
किसी की नफ़रत का बहाना बन गया हूँ।
किसी की हंसी का सहारा बन गया है।
टूटने पर उनकी ख्वाहिश होगी पूरी।
सही कहते हैं वह मैं सितारा बन गया हूं।
सोचा इस्से ज्यादा बरबाद में क्या ही हो जाऊंगा।
फिर याद आया, उसे किसी और के साथ देखना अभी बाकी है।